Menu

इति श्री अंगरेजी कथा….

0 Comment

हिंदी माध्यम में पढ़े औसत दर्जे के विद्यार्थी होने के कारण मेरी आंग्लभाषा बहुत ही फाड़ हुआ करती थी,इतनी फाड़ की Should, Could को हम सुल्ड और कूल्ड बोलते थे..कोई अलग बगल इंग्लिश गरियाता हुआ दिख जाये, तो हमें लगता था कि इससे बड़ा बुद्धिमान शायद कोई इलाके में हो..कमोबेश हम तो इतने महान होशियार […]

Pancheshwar dam

PANCHESWAR DAM: THE FUTURE DESTRUCTION OF HIMALAYAN

0 Comment

शुरुआत करने के लिए हमेशा की तरह शब्दों की कमी पड़ रही है पर सच्चाई यह है कि हम सब भाग रहे हैं, पर भागते भागते हम कई चीजों को पीछे छोड़ते चले जा रहे हैं जो कि शायद हमें पता होनी चाहिए  यकीनन शीर्षक का नाम पढ़ने के बावजूद कई लोगों को इस परियोजना […]

आखिर अज्ञात कौन…

0 Comment

अज्ञात को मानना और ना मानना दोनो तौर पर व्यर्थ है, क्योंकि दोनों तौर पर एक सीमा उपस्थित कर देते हैं। क्योंकि दोनों का होना एक कारण से जन्मेगा जहां कारण होगा वहां परिभाषा अवश्य होगी। जहां परिभाषा होगी वहां आधार होगा स्मृति का ,जहां स्मृति होगी वह भूत काल मे होगी और जहाँ  संभावना […]

डर के आगे ही जीत है…

0 Comment

​जब कभी भी हम अपने अस्थायी भावनाओं के प्रति एक स्थायी कल्पना बना देते हैं ,तब हम यह निर्णय कर लेते हैं कि अब यह कार्य कभी भी सम्भव नहीं हो पाएगा, क्योंकि आज इस क्षण वह सम्भव नहीं हो पा रहा.. और समय व्यतीत होने के साथ साथ वह एक डर के रूप में […]

चलो फिर से एक मोमबत्ती जलाते हैं.

0 Comment

चलो फिर से एक मोमबत्ती जलाते हैं. हमे भी बहुत दुख हुआ फेसबुक पर बताते हैं।बहुत बुरा हुआ, चलो भगवान पर दोष लगते हैं हम आवाज क्यूं उठाएं , हम तो मोमत्तियां जलाते हैं।बेचारी थी , हमारे बस में क्या था , किस्मत का राग सुनाते हैं अब तो आदत सी हो गई है, एक […]

Who are You आप कौन हो ..

0 Comment

आप पैदा हुए। दो शरीर के मिलन से। आप एक उस अवस्था से जो पहले आपके पैदा होने से थी। जिसका आपको भान भी नहीं। अब आप पैदा हुए। अब इस संसार मे आये। आप अभी छोटे हो। मासूम हो। जो देखा जो सुना आपने पकड़ा। पर आप अभी कठोर ना हुए बातों को लेकर। […]

रिश्ता या आपसी संबंध

0 Comment

किन्ही भी दो व्यक्तियों के बीच रिश्ता केवल एक मात्र भावनाओं का लेन देन नहीं ,अपितु ये आप दोनों के लिए एक ऐसे दर्पण का काम करता है जिसमे आप स्वयं की छवि देख सकते हो। आपके संबंध दूसरों से किस प्रकार से बनते हैं आप की दिनचर्या उनके साथ किस प्रकार से गुजरती है […]

यह प्रकृति है अतः बच्चे बन जाओ

0 Comment

कभी बैठे हुए अकेले विचार करो ,तो पाओगे की हमारा क्या किसी पर अधिकार है क्या कुछ ऐसा है जो आपसे सम्बन्धित है बिल्कुल नही, पर फिर सोचोगे तो क्या है फिर  ,पाओगे हम सब प्रकृति की गोद में बच्चों की तरह है । कभी देखा है आपने छोटों बच्चों को जो किसी Toyshop पर […]

What I Think for Life

2 Comments

यदि भारत के हर बच्चे के राष्ट्रीय सपने की बात करे तो वो है IIT औऱ IAS और यही हर माँ-बाप की अपने बच्चों से राष्ट्रीय उम्मीद.. मेरी बदकिस्मती यह थी कि मैं ना तो अपना यह सपना पूरा कर पाया और ना ही घर वालो की राष्ट्रीय उम्मीद,इनफैक्ट मैंने तो IAS को अपनी पकड़ […]

Double Standard Life

0 Comment

हम सब ये जिंदगी दोहरे मापदंड के साथ जीते है और बहुत बड़े भ्रम के साथ जीते है।ठीक उसी तरह जैसे दीवार में लगी हर ईंट को ये लगता है कि सारी दीवार उस पर ही टिकी है,लेकिन असल में ठीक इसी का उल्टा होता है।बस ऐसे ही कुछ भ्रम हम सब जाने अंजाने में […]