"पढ़ लिख कर बना मैं अनपढ़"
जब कभी भी हम अपने अस्थायी भावनाओं के प्रति एक स्थायी कल्पना बना देते हैं ,तब हम यह निर्णय कर लेते हैं कि अब यह कार्य कभी भी सम्भव नहीं हो पाएगा, क्योंकि आज इस क्षण वह सम्भव नहीं हो पा रहा..
और समय व्यतीत होने के साथ साथ वह एक डर के रूप में स्थापित हो जाता है कि अब यह कभी सम्भव नहीं हो सकता. परन्तु एक बात जो हमे याद रखनी चाहिए,
” हर एक क्षण जो व्यतीत हो रहा है वह खुद में आशीर्वाद लिए है”
” inside every delay there is a blessing”
अब जब हम पूर्व में खुद को देखते हैं और हम सोचते हैं कि पूर्व में व्यतीत किये गए क्षण ने आपको छोटा बना दिया है ! परन्तु अगर हम जागरूक हों तथा उस क्षण के प्रति पूर्वाग्रही ना हों, तब हम पाते हैं कि इस हर एक क्षण के व्यतीत होने में आशिष है और हर एक पल जो व्यतीत हो रहा है वो आपको कुछ श्रेष्ठ करने को प्रेरित कर रहा है
” The only thing if we aware and don’t judge the moment and don’t try to make opinion because every life is a possibility”