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इति श्री अंगरेजी कथा….

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हिंदी माध्यम में पढ़े औसत दर्जे के विद्यार्थी होने के कारण मेरी आंग्लभाषा बहुत ही फाड़ हुआ करती थी,इतनी फाड़ की Should, Could को हम सुल्ड और कूल्ड बोलते थे..कोई अलग बगल इंग्लिश गरियाता हुआ दिख जाये, तो हमें लगता था कि इससे बड़ा बुद्धिमान शायद कोई इलाके में हो..कमोबेश हम तो इतने महान होशियार थे..दर्जा 11 में आते आते हमारी बस इंग्लिश व्याकरण मजबूत हुआ करती थी बस,हमे is,am,are से लेकर on, upon, में काफी अच्छी पकड़ हुआ करती थी,लेकिन हमारे पाठ्यक्रम में इसकी वैल्यू केवल 30% की थी,बाकि 70% तो गद्य,पद्य से आना था,जो हमे आता नही ..ऐसा नही ,हमे नही आताहमारे सीनियर तो हमसे भी आगे थे,उन्हें भी नही आता..फिर एक वरिष्टजन ने वर्षो से चला आ रहा, इसका एक तोड़ हमे ट्रांसफर किया..बोला इंग्लिश का पेपर हो,तो साथ मे एक अंग्रेजी का पुराना अखबार भी ले जाया करो,और उत्तर में वो अख़बार पूरा का पूरा टेप दो…हम भी हैरान क्योंकि हम पास..मास्टर जी भी हैरान क्योंकि उन्हें ये लगता बच्चे ने इतनी अच्छी अंग्रेजी कैसे लिख ली…

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